कहना बहुत कुछ हैं पर आज की बात मैं आधार तक ही सीमित रखता हूँ ।
जब आधार की घोषणा की गयी बहुत सारी बातें हमें बताई गयी । मुझे जो सबसे ज्यादा याद हैं कुछ कारणों से वह यह की कुछ भी हो ये राशन कार्ड की तरह नहीं होगा ।
एक सप्ताह पहले मेरी सोसाइटी में किसीने हमें बताया की आधार का एक कैंप लगा सकते हैं सोसाइटी में । हमें प्रसन्नता हुवी की चलो कुछ अच्छा हो रहा हैं की सरकारी काम बिना कुछ किये हो जाएगा । मेरी खुशी कुछ पलों के लिए हि थी । हमें बताया गया की आधार कार्ड एक ऐसे कंपनी ने यहाँ करने के लिए जा रहें हैं जिसका आधार से कोई रिश्ता ही नहीं । और यहाँ भी बताया गया की इस के लिये 'पहुँच' की अव्यशाकता हैं इस लिए हम इसे स्वयं नहीं कर सकते ।
मुझे लगा की यहाँ तो मेरा अधिकार हैं की मैं आधार कार्ड मुफ्त में बिना किसी के सयाहता के ले सकता हूँ ।
मैंने आधार के वेबसाईट पर देखा ... जैसे कहा गया वैसे पूरी तरह से नहीं हो पाया ।
जिसको आधार कार्ड बनाने किए लिए अनुमति दी गयी हो वह सब तरह से अपना काम नहीं कर पा रहे हैं । एक स्कूल जहा मैं गया था आधार कार्ड के लिए वह बंद हो गया था जब की वेब साईट पर उनका नाम और पता था ।
जितने फ़ोन नंबर दिए हुवा हैं उनमे से अस्सी प्रतिशत लगते ही नहीं । ऐसे लोग पे करवाई होनी चाहिए :)
आधिकारिक तौर पर तो वेब साईट बताता हैं की इसके लिए अनुमति दी गयी हैं बड़ी बड़ी सरकारी बैंक को । लेकिन इन बैंक ने निजी लोगो को यह कॉन्ट्रैक्ट दिया हुवा हैं । यह निजी कंपनियों ने इसे अपने तरह से इसका उपयोग कर रहे हैं । कहा करना हैं और कहा कैंप नहीं करना हैं इसके लिए वह तरह तरह से सौदा कर रहे हैं । इनके बारें में कोई जानकारी आधार के वेब साईट पर नहीं हैं ।
इन सब में ज्यादा पारदर्शिता लानें में लिए मैंने नंदन निलेकनी जी को ईमेल भी लिखा हैं जिसका कोई अभी तक तो जवाब नहीं आया ।
सरकारी तौर पर कारपोरेशन से कुछ हो सकता हैं इस से भी ज्यादा प्रयास करना चाहिए । यहाँ प्राइवेट (निजी) कंपनिया काम कर रही हैं और सरकारी जगह पर कतार चार चार घंटो तक हैं । उनको और ज्यादा करने दिया नहीं जा रहा या नहीं करना चाहए ताकि निजी कंपनियों को ज्यादा लाभ हो पता नहीं । सरकारी सांठ गांठ नया तो नहीं हैं ।
एक अर्जी तो दी हैं कैंप के लिए सरकारी दफ्तर में ... देखे आगे क्या होता हैं ।
और हा ... यह अब राशन कार्ड से भी बत्तर हो गया हैं ;-) उसके लिए 10 रुपये शायद देना पड़ता था और सरकारी अफसर उस के लिए भी डरता था। अब निजी कंपनिया , सरकारी लोग और नेता सभी इस का बड़ा लाभ ले रहे हैं और किसी को पता नहीं की इसके बाद इसका उपयोग क्या होगा ।
जब आधार की घोषणा की गयी बहुत सारी बातें हमें बताई गयी । मुझे जो सबसे ज्यादा याद हैं कुछ कारणों से वह यह की कुछ भी हो ये राशन कार्ड की तरह नहीं होगा ।
एक सप्ताह पहले मेरी सोसाइटी में किसीने हमें बताया की आधार का एक कैंप लगा सकते हैं सोसाइटी में । हमें प्रसन्नता हुवी की चलो कुछ अच्छा हो रहा हैं की सरकारी काम बिना कुछ किये हो जाएगा । मेरी खुशी कुछ पलों के लिए हि थी । हमें बताया गया की आधार कार्ड एक ऐसे कंपनी ने यहाँ करने के लिए जा रहें हैं जिसका आधार से कोई रिश्ता ही नहीं । और यहाँ भी बताया गया की इस के लिये 'पहुँच' की अव्यशाकता हैं इस लिए हम इसे स्वयं नहीं कर सकते ।
मुझे लगा की यहाँ तो मेरा अधिकार हैं की मैं आधार कार्ड मुफ्त में बिना किसी के सयाहता के ले सकता हूँ ।
मैंने आधार के वेबसाईट पर देखा ... जैसे कहा गया वैसे पूरी तरह से नहीं हो पाया ।
जिसको आधार कार्ड बनाने किए लिए अनुमति दी गयी हो वह सब तरह से अपना काम नहीं कर पा रहे हैं । एक स्कूल जहा मैं गया था आधार कार्ड के लिए वह बंद हो गया था जब की वेब साईट पर उनका नाम और पता था ।
जितने फ़ोन नंबर दिए हुवा हैं उनमे से अस्सी प्रतिशत लगते ही नहीं । ऐसे लोग पे करवाई होनी चाहिए :)
आधिकारिक तौर पर तो वेब साईट बताता हैं की इसके लिए अनुमति दी गयी हैं बड़ी बड़ी सरकारी बैंक को । लेकिन इन बैंक ने निजी लोगो को यह कॉन्ट्रैक्ट दिया हुवा हैं । यह निजी कंपनियों ने इसे अपने तरह से इसका उपयोग कर रहे हैं । कहा करना हैं और कहा कैंप नहीं करना हैं इसके लिए वह तरह तरह से सौदा कर रहे हैं । इनके बारें में कोई जानकारी आधार के वेब साईट पर नहीं हैं ।
इन सब में ज्यादा पारदर्शिता लानें में लिए मैंने नंदन निलेकनी जी को ईमेल भी लिखा हैं जिसका कोई अभी तक तो जवाब नहीं आया ।
सरकारी तौर पर कारपोरेशन से कुछ हो सकता हैं इस से भी ज्यादा प्रयास करना चाहिए । यहाँ प्राइवेट (निजी) कंपनिया काम कर रही हैं और सरकारी जगह पर कतार चार चार घंटो तक हैं । उनको और ज्यादा करने दिया नहीं जा रहा या नहीं करना चाहए ताकि निजी कंपनियों को ज्यादा लाभ हो पता नहीं । सरकारी सांठ गांठ नया तो नहीं हैं ।
एक अर्जी तो दी हैं कैंप के लिए सरकारी दफ्तर में ... देखे आगे क्या होता हैं ।
और हा ... यह अब राशन कार्ड से भी बत्तर हो गया हैं ;-) उसके लिए 10 रुपये शायद देना पड़ता था और सरकारी अफसर उस के लिए भी डरता था। अब निजी कंपनिया , सरकारी लोग और नेता सभी इस का बड़ा लाभ ले रहे हैं और किसी को पता नहीं की इसके बाद इसका उपयोग क्या होगा ।
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