जब हमने खाने के लिए कुछ मंगाया तो वेटर बड़ा ही थका हारा लग रहा था. और जब मैंने पानी लाने के लिए कहा तो उसने जवाब दिया की अगर मैं बोतल लेता हूँ तो वोह मुझे पानी ला देगा नहीं तो मुझे खुद लेना होगा |
वैसे हम सभी किसी न किसी रेस्तोरा में जातें हैं और खाना खातें हैं. रेस्तोरा बड़ा हो या छोटा, पानी देने के लिया कभी कोई मन तो नहीं करता. पर इस तरह खाना लाकर देने के लिए तैयार पर पानी के लिए जाकर लेना मुझे कुछ अटपटा सा लगा |
मैंने बैरे से कहा की भाई पानी मेरी बेटी को चाहिए तो क्या अब उसे भी खुद लेना होगा? कुछ सोचने के बाद और कुछ सलाह मशवरा करने के बाद वोह बंद सिर्फ एक गिलास पानी ले आया |
इस अनुभव के बाद मुझे लगता मैं वह जाने वाला बहुत बार या किसीको वह जाने के लिए प्रोस्ताहित करूंगा|
जिसने भी इस रेस्तोरा में ऐसे करने के लिए कहा हैं शायद उन्हें भारतीय संस्कृति का कोई अनुभव ही नहीं|
बात संस्कृति से और भी बढकर हैं की यह लोगो को महंगा पानी और जो जरूरी नहीं उसे दे रहे हैं|
आप होते हो क्या करते?